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अनुकंपा नियुक्ति के लिए भटक रहे आवेदक, आर्थिक संकटों से भी जूझ रहे

  • प्रयोगशाला शिक्षक और प्राथमिक शिक्षक पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए तरस रहे पात्र आवेदक
  • नियम तो बदले पर नहीं मिल रही अनुकंपा नियुक्ति : नरेन्द्र त्रिपाठी

जबलपुर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि जो कर्मचारी इस दुनिया में नहीं रहे, उनके परिवारों की देखभाल करना, चिंता करना हमारी जवाबदारी है। भले ही यह बात उन्होंने कोरोना काल के बाद कही हो और कोरोना से मृत कर्मचारियों के परिवारों के लिए कही हो, लेकिन यह प्रासंगिक तो सभी परिवारों के लिए है। जिन कर्मचारियों की मृत्यु हो जाती है, तो समझिए कि उनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाया करती है। परिवार दाने-दाने के लिए तरसने लगता है और सरकारी प्रक्रिया में यह तय मानिए कि चप्पलें घिस जाती हैं। जो आर्थिक मदद मिलती भी है, वह सरकारी अमले को दान-दक्षिणा में निकल जाती है। ऐसे में दो-चार साल आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति न मिले, तो उनकी हालत का अंदाजा भुक्तभोगी ही लगा सकते हैं।
आदेश तो संशोधित किए, लेकिन हालात जस के तस
राज्य शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार ने पूर्व में प्राथमिक शिक्षक एवं प्रयोगशाला शिक्षक के पद पर दी जा रही है अनुकंपा नियुक्ति पर विभागीय रूप से रोक लगा दी थी। रोक लगाने का कारण सामान्य प्रशासन विभाग का 2014 में जारी वह आदेश था जिसमें अनुकंपा नियुक्ति के पदों में प्राथमिक शिक्षक एवं प्रयोगशाला शिक्षक का उल्लेख नहीं था। मध्य प्रदेश सरकार ने 1 फरवरी 2023 को सामान्य प्रशासन विभाग के 2014 के आदेश को संशोधित कर दिया जिसमें अनुकंपा नियुक्ति के पदों में संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 का उल्लेख था। संशोधन में सामान्य प्रशासन विभाग ने संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 के स्थान पर प्रयोगशाला शिक्षक एवं प्राथमिक शिक्षक प्रतिस्थापित कर दिया गया। इस संशोधन के बाद प्रयोगशाला शिक्षक एवं प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए आ रही तकनीकी खामी दूर हो गई। लेकिन अब भी हालात जस के तस हैं।
दर-दर की ठोकरें खा रहे परिजन
संघ के प्रांत अध्यक्ष जगदीश यादव ने आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय को भेजे ज्ञापन पत्र में कहा कि मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा किए संशोधन के बाद भी जिलों में अनुकंपा नियुक्ति के आश्रित शासकीय कर्मचारियों के परिजन दर.दर की ठोकरें खा रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा यह कहा जा रहा है कि विभाग के द्वारा स्पष्ट पत्र जारी होना चाहिए। प्रांत अध्यक्ष जगदीश यादव द्वारा आयुक्त को भेजे अपने पत्र में मांग की गई है कि सरकार द्वारा किए गए संशोधन का लाभ देते हुए प्रयोगशाला शिक्षक एवं प्राथमिक शिक्षक के पद पर लगाई रोक तत्काल हटाई जाए और पात्र आश्रितों को तत्काल अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी किए जाएं।
जबलपुर में यह स्थिति
जिलाध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी ने दावा किया कि जबलपुर में कुल 57 आवेदकों में 30 से भी अधिक आवेदक इस नियम के तहत नियुक्ति पाने के पात्र हैं। शेष आवेदकों ने भृत्य पद हेतु अपनी सहमति दी है। प्रशासन सकारात्मक कदम उठाए तो समस्त मृतक शासकीय कर्मचारी के परिजन अनुकंपा नियुक्ति पा सकते हैं। सरकार को इन आवेदकों पर त्वरित फैसला लेना चाहिए ताकि उन्हें राहत मिल सके।

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