- रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की घोषणा, रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया
नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल के दाम जस के तस हैं। कमाई भी अमूमन उतनी ही है, महंगाई सातवें आसमान से उतरने का नाम नहीं ले रही, लेकिन रिजर्व है कि जनता पर एक और गाज गिरा चुका है। एक बार फिर महंगाई की मार आम जनता पर पड़ी है। दो दिन से चल रही मौद्रिक नीति की बैठक ने आज फिर से रेपो रेट बढ़ाने का फैसला ले लिया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि आरबीआई ने रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले हुई सभी 5 बैठकों में रेटो रेट में बढ़ोतरी की गई थी। सरकार ने आरबीआई को महंगाई को छह प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी दी है। महंगाई दर जनवरी 2022 से तीन तिमाहियों तक लगातार छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। हालांकि नवंबर और दिसंबर 2022 में कुछ राहत मिली थी।
कोरोना गया तो महंगाई ने मारा
कोरोना काल में रिजर्व बैंक ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए रेपो रेट कम कर दिया था। इसका असर यह हुआ कि लोन की ईएमआई कम हो गई या जिन्होंने लोन लिया था उन्हें बेहद कम ब्याज पर किस्त चुकाना था। लेकिन 3 साल के अंदर फिर वही स्थिति बन गई है। यानि अगर कोई अपनी ईएमआई 10 हजार रूपए चुका रहा था, तो अब उसकी यही ईएमआई करीब-करीब 13 हजार तक पहुंच जाएगी। ऐसे में जिन्होंने होमलोन या कार लोन लिया है, उन पर तो यह सिर मुंडाते ही ओला पड़ने वाली स्थिति है।
2022 में 5 बार हुई है रेपो रेट में बढ़ोत्तरी
मई 2022 में 0.4, 8 जून को 0.5, 5 अगस्त को 0.5, 30 सितंबर को 0.5 और 7 दिसंबर को 0.35 प्रतिशत रेपो रेट में बढ़ोत्तरी की गई है। एक बार फिर आरबीआई ने रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।
महंगाई पर काबू पाने रेपो रेट बढ़ाया
आरबीआई और सरकार का मानना है कि देश में बढ़ती महंगाई के कारण कई बार लोगों को जरूरत की चीजें खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी कर इसी महंगाई पर काबू पाने की कोशिश करता है। आमतौर पर 0.50 या इससे कम की बढ़ोतरी की जाती है। कोविड के समय में इसमें सबसे ज्यादा 4 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई थी। इसकी वजह से होम, कार और पर्सनल लोन की ब्याज दरें भी बढ़ जाती हैं।
जनता पर इस तरह बढ़ता है बोझ
रेपो रेट बढ़ने से लोन लेने वाले लोगों की ईएमआई बढ़ जाती है। आरबीआई लोगों को ध्यान में रखते हुए ही जिसकी दरें बढ़ाने का काम करते हैं। जो लोग किसी कारण से ईएमआई नहीं दे पाते हैं उन्हें कुछ महीने के लिए रियायत भी दी जाती है। कोविड के समय में लॉकडाउन लग जाने के कारण आमदनी नहीं होने पर कई लोगों को ईएमआई भरने में रियायत दी गई थी। हालांकि यह मामला अदालत तक पहुंचा और फिर सरकार ने अपनी ओर से बैंकों को ब्याज की राशि दी। लेकिन प्राइवेट बैंकों या पर्सनल लोन लेने वालों को मुश्किलों का ही सामना करना पड़ा।