प्रदेश में 19 टाइगर पर खर्च हुए 183 करोड़ खर्च, भाजपा ने कहा-क्या ये ईडी के इशारे पर हुआ, सरकार बताए कहां गए करोड़ों रूपए
रायपुर। छत्तीसगढ़ में 3 सालों में एक टाइगर पर करीब 10 करोड़ रूपए खर्च हुए हैं। इस तरह प्रदेश के 19 टाइगरों पर 3 साल में 183.77 करोड़ खर्च हो गए। जब वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने सवाल उठाए तो विपक्ष भी सरकार पर टूट पड़ा। भाजपा ने छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार से पूछा है कि इतनी बड़ी धनराशि कैसे खर्च हो गई। इसका पैसा कहां गया? भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार बताते हुए सवाल पूछा है कि क्या यह सब भी ईडी के इशारे पर हुआ है?
पूर्व मंत्री ने बताया भ्रष्टाचार
दरअसल विधानसभा में विधायक अरुण वोरा ने बाघों पर खर्च पर सवाल किया तो मंत्री शिव डहरिया ने जवाब में कहा था कि प्रदेश में 19 बाघ हैं। इन बाघों पर 3 साल में 183 करोड़ से ज्यादा खर्च हुआ है। प्रदेश में कुल 3 टाइगर रिजर्व सीतानदी उदंती, इंद्रावती और अचानकमार हैं। तीनों का क्षेत्रफल 5555.627 वर्ग किलोमीटर है। पिछले 3 वर्षों में साल 2019-20, 20-21 और 21-22 में प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए 183.77 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं । इस पर भाजपा नेता व विधायक अजय चंद्राकर ने ट्वीट कर लिखा कि छत्तीसगढ़ में 19 बाघों पर 3 वर्ष में 183 करोड़ रुपये खर्च हुये हैं…लेकिन कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार होता ही नहीं। ये खर्च भी “ईडी“ और “आईटी“ के इशारे पर हुये होंगे। कांग्रेस शासन में जनता के पैसे का अनियमित खर्च भ्रष्टाचार नही माना जाता। पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने भी आश्चर्य जताया कि प्रदेश सरकार ने पिछले 2019 से 2022 में 19 बाघों पर 183.77 करोड़ खर्च कर दिए। इतनी बड़ी रकम के बारे में प्रदेश सरकार स्थिति स्पष्ट करे।
इसलिए उठ रहे सवाल
- टाइगर रिजर्व में बाघों के खाने पर कोई खर्च नहीं होता। वे खुद शिकार करते हैं।
- वन विभाग के कर्मचारी पेट्रोलिंग करते हैं जिसपर खर्च होता है।
- रिजर्व क्षेत्र में कोई बड़ा कंस्ट्रक्शन का काम भी नहीं हो सकता, क्योंकि वह तो जंगल है।
- कोई अंतराष्ट्रीय रिसर्च भी नहीं चल रही जिससे 183.77 करोड़ खर्च हो जाएं।