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नेपाल में फिर हिंदू देश बनने की लहर, राजा ज्ञानेन्द्र के दौरों से राजनेता दबाव में

  • नेपाल में फिर हिंदू देश बनने की लहर
  • राजा ज्ञानेन्द्र के देशव्यापी दौरों से राजनेता दबाव में
  • चीन से दोस्ती तोडने की ओर नेपाल का पहला कदम

काठमांडू, हिट वॉइस न्यूज| एक लंबे अंतराल के बाद नेपाल फिर से भारत से दोस्ती के प्रयास में है। बीते एक दशक में चीन के साथ नजदीकी बढाकर नेपाल को काफी नुकसान उठाना पडा है। भारत या़़त्रा पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड और नेपाली प्रतिनिधिमंडल पूरी कोशिश में हैं कि मोदी-योगी से नजदीकी बढाने का मौका न गंवाया जाए। वैसे भी नेपाल की अवाम और वहां के राजनीतिक दल अब नेपाल को हिंदू राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं। नेपाल को उम्मीद है कि मोदी और योगी की जोडी के चलते भारत से उसके संबंध बेहतर होने की पूरी उम्मीद है।

भारत के साथ रोटी और बेटी के प्राचीन संबंध के अलावा 9 लाख वर्ष पूर्व त्रेता युग में भगवान रामचंद्र की ससुराल नेपाल में होने के कारण आत्मीय संबंधों को आसानी से बहाल किया जा सकता है। इसी कडी में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड दिल्ली के हैदराबाद हाउस में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। इस दौरान उन्होंने बहराइच में बने चेकपोस्ट का उद्घाटन भी किया। ये चेकपोस्ट भारत सरकार और यूपी सरकार की मदद से बनाया गया है। इस चेकपोस्ट के बनने से दोनों देशों के व्यापार में आसानी होगी। ये चेक पोस्ट 230 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ है। प्रधानमंत्री प्रचंड के साथ नेपाल से एक प्रतिनिधिमंडल भी आया हुआ है।

हिंदू राष्ट्र की ओर नेपाल

अब अपनी मूल हिंदू राष्ट्र की पहचान को लेकर प्रयासरत है। वहां हिंदू राज्य बनाने की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है।  नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने कई बार भारत की यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है। योगी के समक्ष उन्होंने नेपाल को हिंदू देश का गौरव दिलाने में सहयोग का प्रस्ताव भी रखा है। गोरक्ष पीठ और नेपाल की राजशाही में बहुत पुराने संबंध रहे हैं।

भारत से खराब हो चुके रिश्तों को बेहतर करने की कवायद

नेपाल के पीएम प्रचंड की छवि भारत में चीन परस्ती की रही है। यही वजह है कि प्रचंड के प्रधानमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल के दौरान नेपाल के भारत से रिश्ते अच्छे नहीं थे। नतीजतन पीएम बनने के 5 महीने बाद इस बार उनकी ऐसी कोई छवि न बने इसलिए भारत आने से पहले उन्होंने चीन के बेआओ फोरम फॉर एशिया का निमंत्रण ठुकरा दिया था।

सीमा विवाद तनाव का बड़ा कारण

भारत और नेपाल के बीच 1800 किलोमीटर की खुली सीमा मसला दोनों देशों के बीच तनाव का कारण भी बना हुआ है । ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाली गोरखा के बीच हुई लड़ाईयों के बाद 1816 में दोनों के बीच सुगौली सीमा संधि हुई थी। लेकिन पिछले कुछ समय से नेपाल के पश्चिमी उत्तरी सीमा बिंदु को लेकर विवाद चल रहा है। पश्चिमी सीमा महाकाली नदी को माना गया है। नेपाल का दावा है कि पश्चिमी सीमा कालापानी 1816 के बाद से नेपाल में ही है । 1960 के दशक में भारत चीन युद्ध के आसपास से वहां भारत का कब्जा है। इसके साथ ही लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र को लेकर भी नेपाल ने विवाद खड़ा किया। चीन के साथ लगते हुए इस क्षेत्र की वजह से ये एक ट्राइजक्शन प्लाइंट है। जिसका अपना सामरिक महत्व है।

प्रचंड ने कभी भारत में ली थी शरण

नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का भारत से रिश्ता कोई नया नहीं है। 1996 से 2006 तक नेपाल में चले गृह युद्ध के दौर में राजशाही और माओवादियों के बीच संघर्ष छिड़ा था। इस दौरान प्रचंड समेत कई माओवादी नेता अपना देश छोड़कर भारत में रह रहे थे । 2016.-17 में प्रचंड के एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की कुर्सी संभालने के बाद भारत को लेकर रुख बेहद ही तल्ख नजर आए । नेपाल ने तो तब यहां तक कह दिया था कि वह भारत के कहने पर नहीं चलने वाला है। पीएम पस्रचंड का इतना कह देना उनके लिए नुकसानदायक रहा और वे कुछ ही समय बार सत्ता से बेदखल हो गए।
चीन से दोस्ती ने डाला मुश्किल में

नेपाल ने भारत की अनदेखी करके चीन से कई समझौतों को अंजाम दिया था। नेपाल ने चीन की कंपनियों को अपने यहां एनर्जी खोज की अनुमति दी है। नेपाल इंटरनेट सेवाओं के लिए भी भारत पर निर्भर नहीं रहा बल्कि चीन की मदद मिलने लगी है। चीन की वन बेल्ट.वन रोड ;ओबोरद्ध परियोजना में भी नेपाल शामिल है और इसके लिए दोनो के बीच समझौते भी हुए हैं। प्रचंड ने पहले कोशिश की थी कि चीन के साथ रिश्ते मजबूत किया जाए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। नेपाल इन दिनों आर्थिक तंगी और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। उन्हें भारत समर्थक नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन करना पड़ा। ऐसे में अब नेपाल की राजनीति में वाम दलों के साथ आने की संभावना बेहद ही कम है। ऐसे में प्रचंड को पता है कि नेपाल में भारत की अच्छी छवि है।

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