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क्या छत्तीसगढ़ में होगी शराबबंदी, कांग्रेस ने किया था वादा, अब याद आई

बिहार में शराबबंदी देखने गए छत्तीसगढ़ के नेता और अफसर, मुख्यमंत्री को बताएंगे
रायपुर। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में शराबबंदी का वादा किया था। भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने, लेकिन शराबबंदी पर कोई फैसला नहीं ले पाए। अब सरकार का अंतिम कार्यकाल चल रहा है। ऐसे में एक बार फिर शराबबंदी की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या बिहार की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में शराबबंदी होगी। यह चर्चाएं इसलिए हो रही हैं क्योंकि गुरुवार को छत्तीसगढ़ के नेता और अफसर बिहार में शराबबंदी देखने के लिए गए थे। वे अगले 3 दिन में गया, वैशाली, नालंदा जाएंगे। राजधानी पटना में मद्य निषेध व उत्पाद विभाग के अफसर और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलेंगे। इसके बाद वे लौटकर अपनी सरकार को शराबबंदी की प्रक्रिया और उपायों के बारे में भूपेश बघेल सरकार को बताएंगे।
रिपोर्ट सौंपेगी 13 सदस्यीय टीम
छत्तीसगढ़ से विधायक सत्यनारायण शर्मा की अगुवाई में 13 सदस्यीय टीम बिहार गई हुई है। यहां पर वे शराबबंदी के पहले के हालात, बंदी के कानून, पुलिस-प्रशासन की इसे लागू कराने में सहभागिता, दिक्कतों से लेकर आम लोगों पर पड़े असर को जानेंगे। कुछ गांवों में जाकर लोगों से बात भी की जाएगी। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि इन तमाम बिंदुओं पर आधारित रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगे। आगे की बातें या फिर फैसला लेने का काम सरकार का है। सबकुछ बेहतर रहा तो शराबबंदी को छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जा सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह सरकार पर निर्भर है।
वादा भूल गई भूपेश सरकार
छत्तीसगढ़ में जब 2018 के विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने 69 सीटें जीतीं। पहले कांग्रेस ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था। लेकिन शराबबंदी का यह वादा बाद में हाशिए पर चला गया। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ही शराबबंदी के मुद्दे ने ज्यादा जोर पकड़ा था। कांग्रेस के घोषणा पत्र में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य में सरकार बनने के बाद पूरी तरह शराबबंदी का ऐलान किया था। हालांकि आदिवासी इलाकों जैसे कि बस्तर और सरगुजा में स्थानीय ग्रामीण परिषद को इस मामले में फैसला लेने का अधिकार देने की बात भी कही गई थी। लेकिन पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी को कांग्रेस ने चुनावी मुद्दा बनाया था, वह बाद में हवा-हवाई साबित हुआ।

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