- राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री ने घास से बनी माला पहनाई, सोशल मीडिया पर उड़ी अफवाह, सोने की माला पहनाई
रायपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री ने पार्टी के बड़े नेताओं को जो माला पहनाई, उस पर बवाल खड़ा हो गया है। भाजपा समर्थित सोशल मीडिया प्लेटफार्म में दावा किया गया कि ये मालाएं सोने की हैं। कई जगहों पर ये मैसेज फारवर्ड होने लगे। हालांकि इस अफवाह पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सामने आए और उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि भाजपा की दिक्कत यही है कि वह न छत्तीसगढ़ को समझती है, और न उसकी परंपराओं को। ’सावन के अंधे को जैसे हरा ही हरा दिखता है, ठीक वैसे ही अडानी के मित्रों को सोना ही सोना दिखता है।
वीडियो जारी कर बताया, ये घास की माला है
भूपेश बघेल ने वीडियो जारी करके इस माला को बनाने की पूरी प्रक्रिया दिखाई। उन्होंने कहा कि दरअसल ये घास से बनी माला थी, जिसे सोने की माला बता दिया गया। मुख्यमंत्री ने वीडियो पोस्ट कर लिखा कि झूठ बोलो, बार-बार झूठ बोलो, जितना जोर से बोल सकते हो, उतना बोलो। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर छत्तीसगढ़ के लोगों और यहां की संस्कृति से भाजपा को इतनी नफरत क्यों है।
छत्तीसगढ़ में बीरन माला कहलाती है
कवर्धा में सूताखर नाम की घास और मुआ के फूल की डंडी का प्रयोग करते हुए यह माला बनाई जाती है। एक एक हार बहुत मेहनत से बनाया जाता है। इसे स्थानीय लोग बीरन माला कहते हैं।
मुख्यमंत्री के सलाहकार ने कहा-हां, ये हार सोने के हैं
मुख्यमंत्री के सलाहकार रुचिर गर्ग ने लिखा कि हां ये हार सोने के हैं। बल्कि उससे भी अनमोल हैं। करीब 200 की संख्या में ये बेशकीमती हार आए थे। बैगा आदिवासी घास-फूस से जिस माला को बनाते हैं उसे बीजेपी के आईटी सेल ने सोने की माला बना दी। अफवाह भी फैला दी। अच्छा ये हुआ कि इसी बहाने बैगाओं की मेहनत की चमक सोशल मीडिया पर छा गई। हां, इस चमक में सोने से कीमती पसीना है।