सरकार ने कहा था सैनिकों की शिकायतों का हर हाल में करें निराकरण, रीवा में तो हद ही गई
रीवा। हमारे देश का सैनिक सरहदों पर तो लड़ते हैं, पर अपने समाज और गांव की मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करते हैं और उनकी कोई नहीं सुनता।
जवा तहसील अन्तर्गत ग्राम छदहना स्थित बर्दिया टोला व पुरवा का एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां आज तक रोड नहीं है वहीं आने जाने का रास्ता विहिन गांव मे ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा। हजारों की आबादी वाले गांव में सड़क न होने पर ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में काफी दिक्कत होती हैं बच्चों को स्कूल जाने से लेकर बीमार बुजुर्ग महिला को चारपाई पर लेटकर मुख्य मार्ग तक लें जाना पड़ता है, वहीं बरसात में गांव पूरी तरह से दूसरी दुनिया का हिस्सा बन जाता है।
सैनिक ने एसडीएम, तहसील दार, कलेक्टर से भी लगाई थी गुहार
छदहना गांव के शासकीय टीचर प्रेमशंकर सिंह के पुत्र सेना में नायब सूबेदार राकेश कुमार सिंह ने गांव की समस्या को देखा तो उनसे रहा नहीं गया तभी उन्होंने ने तहसीलदार से लेकर एसडीएम तक लिखित पत्रचार से गांव की समस्याओं से अवगत कराया। वहीं गांव के सभी लोगों से मिलकर गांव से मुख्य मार्ग को जोड़ने के लिए लोगों से चर्चा करते हुए। रोड की समस्या को लेकर लिखित पत्रचार के मध्यम से कलेक्टर इलैयाराजा को ज्ञापन सौंपा। कुछ समय पहले नायब सूबेदार राकेश कुमार सिंह की ब्रेन ट्यूमर से मृत्यु हो गई, और उनके पार्थिव शरीर को गांव में लाने के लिए गांव वालों को काफी मशक्कत करनी पड़ी फावड़े और जेसीबी मशीन के मध्यम से रास्ता बनाया गया। तब जाकर शहीद राकेश कुमार सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव तक पहुंच सका। उनके इस संघर्ष को यादगार और सफल बनाने के लिए उनके पिता व ग्रामीण और उनके परिवारजनों द्वारा शासन एवं प्रशासन से मांग की है कि उनकी स्मृति में गांव की सड़क का निर्माण कराया जाए, और गाँव को मुख्य सड़क मार्ग से जोड़ा जाए तांकि भविष्य में ग्राम वासियों को किसी भी आपातकालीन स्थिति में समस्या का सामना न करना पड़े।
अब देखना यही होगा कि क्या शहीद राकेश कुमार सिंह का सपना साकार होगा या संबंधित अधिकारियो द्वारा उनके संघर्ष को भी दफना दिया जाएगा। चंद्रमणि सोनी तहसीलदार जवा का कहना है कि सड़क का नाम शहीद के नाम पर रखा जाएगा लेकिन वे यह नहीं बता पाए कि सड़क कब बनेगी।