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यूक्रेन में फंसी जबलपुर शुभी गुप्ता पहुंची अपने वतन, पीएम नरेंद्र मोदी और सांसद राकेश सिंह का जताया आभार कीव में फंसे छात्रों परिजनों को भेजा वीडियो, कहा-यूक्रेन में फंसे भारतीयों के साथ हो रहा भेदभाव

जबलपुर। रूस-यूक्रेन में युद्ध की वजह से यूक्रेन में बड़ी तादाद में भारतीय छात्र फंस गए हैं। उन्हें निकालने के लिए भारत सरकार पूरी कोशिश कर रही है। इसी प्रयास के तहत जबलपुर निवासी शुभी गुप्ता को भी यूक्रेन से निकाला गया। शुभी गुप्ता अपने साथियों के साथ यूक्रेन की बॉर्डर पार कर रोमानिया पहुंची और उसके बाद रोमानिया में मौजूद भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने उनके ठहरने और भोजन का इंतजाम किया। रोमानिया से दिल्ली तक लगातार फ्लाइट आ रही है जिससे शुभी गुप्ता दिल्ली पहुंची और उसके बाद मंगलवार की सुबह ट्रेन से जबलपुर स्टेशन पर पहुंची। जबलपुर स्टेशन पहुंचने पर भाजपाइयों के साथ उनके परिवार वालों ने उनका आत्मीय स्वागत किया और उनकी कुशलता पर संतोष जताया। इस दौरान शुभी गुप्ता ने जबलपुर सांसद राकेश सिंह और भारत सरकार सहित रोमानिया में काम कर रहे भारतीय दूतावास के अधिकारियों की खुलकर प्रशंसा की। उन्होंने बताया भारतीय अधिकारियों की वजह से भारतीयों को कुशलतापूर्वक यूक्रेन से बाहर निकाला जा रहा है। शुभी की मां ने पीएम मोदी व सांसद राकेश सिंह का आभार जताया।
तज़ीन आलम कीव में फंसी
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों ने वीडियो जारी कर बताया कि उन्हें वहां अनेक तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। न तो उनको भोजन मिल पा रहा है, न ही पीने के पानी की व्यवस्था हो पा रही है और न ही लाइट का इंतजाम है। उनको जो हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं उनपर भी कोई रिस्पांस नहीं मिल पा रहा है। जबलपुर के मिलौनीगंज निवासी इकबाल आलम की बेटी तज़ीन आलम भी कीव में फंसी है। उसकी मां का कहना है कि कीव में बच्चों की हालत अत्यंत दयनीय है। उनको सहायता नहीं मिल पा रही है। खाने-पीने का सामान भी खत्म हो चुका है। दूतावास से कोई मदद नहीं मिल पा रही। दूतावास से बच्चों को मैसेज किए जा रहे हैं कि वे कीव छोडक़र रोमानिया और पोलैंड की बार्डर पर पहुंचें, लेकिन ये सीमाएं भी वहां से आठ सौ किलोमीटर दूर हैं। छात्रों का कहना है कि रोमानिया और पोलैंड की सीमा पर पंद्रह हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए हैं। कलेक्टर से मिले परिजन
तज़ीन आलम के पिता इकबाल आलम और मां केसर आलम ने कलेक्टर डा. इलैयाराजा टी से मुलाकात की। कलेक्टर को एक आवेदन देकर मदद की गुहार लगाई। कलेक्टर का कहना है कि वे इस संवेदनशील मामले में विदेश मंत्रालय से संवाद करेंगे।

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