-केंद्रीय जेल में व्यासपीठ से सुरेंद्र दुबे शास्त्री के उद्गार
जबलपुर। बिना किसी लालसा, बिना किसी कामना से निष्कपट होकर भगवान की भक्ति करना चाहिए। निष्काम भक्ति ही भक्तों को भगवान से मिलाती है। कलयुग में तो केवल परमात्मा का नाम जपने और कीर्तन करने से ही भगवत प्राप्ति हो जाती है। लेकिन कलयुग के प्रभाव से ग्रसित होने के कारण मनुष्य सांसारिक मोह माया में फंसा रहता है। कितनी भी व्यस्तता हो तब भी हम भोजन करने के लिए समय निकाल लेते हैं, उसी प्रकार सभी को भगवान का भजन करने के लिए भी समय निकालना चाहिए, जिससे स्वयं का कल्याण हो सके। उक्त उद्गार कथावाचक शिव मंदिर कचनार सिटी (बड़े शंकर जी) के मुख्य आचार्य एवं मां दक्षिणेश्वरी धाम के संस्थापक सुरेंद्र दुबे शास्त्री जी महाराज ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से व्यक्त किए।
कथा के पूर्व जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच व्यासपीठ का पूजन कर शास्त्री जी महाराज का अभिनंदन किया। कथा में उप जेल अधीक्षक मदन कमलेश, राकेश मोहन उपाध्याय, रूपाली मिश्रा, सहायक जेल अधीक्षक अंजू मिश्रा सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे। पूजन कार्य नीरज शास्त्री एवं सत्येंद्र शास्त्री में संपन्न कराया।
कथा में कविता सिन्हा द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी गई।
बंदियों ने रखा उपवास, सार्थक हो रहा कथा का आयोजन
जेल में चल रही श्रीमद् भागवत कथा से प्रेरित होकर कुछ बंदी उपवास भी रख रहे हैं। इन बंदियों के लिए जेल प्रशासन द्वारा फलाहार की व्यवस्था भी की गई है। जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर का कहना है कि जिस उद्देश्य से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है वह उद्देश्य पूर्णता की ओर है। बंदियों के मन में परिवर्तन हो रहा है और वह भक्ति की ओर अग्रसर हो रहे हैं रहे हैं।