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हिंदी के सत्याग्रही : जब 21 लाख लोगों ने बदल दिए थे अपने हस्ताक्षर

भोपाल में स्व. डॉ. वेद प्रताप वैदिक की स्मृति में आयोजित श्रद्धाजंलि सभा में सीएम ने अर्पित की श्रद्धांजलि

13 साल की उम्र में हिन्दी सत्याग्रही बन गए थे वैदिक जी : शिवराज

भोपाल। प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्व. डॉ. वेद प्रताप वैदिक की स्मृति में आयोजित श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यहां पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि वैदिक जी का मातृभाषा और हिन्दी के लिए जो प्रेम था, मैंने वैसा हिन्दी आग्रही कोई दूसरा नहीं देखा। 13 साल की उम्र में वे हिन्दी सत्याग्रही बन गए थे। वे लगातार हिन्दी के लिए लड़ते रहे। डॉ. वेद प्रताप वैदिक ने हस्ताक्षर अभियान चलाया, जिससे प्रभावित होकर लगभग 21 लाख लोगों ने अपने हस्ताक्षर बदले और हिन्दी में करना प्रारंभ किया। डॉ. वेद प्रताप वैदिक जी के चेहरे पर तेज था, उनकी वाणी में ओज था। कहते हैं कि सरस्वती जी कंठ में विराजती हैं, लेकिन मुझे कई बार लगता था कि जैसे सरस्वती जी उनकी कलम में विराजती हैं।
देश-विदेश में हिंदी में ही बोलता हूँ : शिवराज
सीएम शिवराज ने कहा कि अंग्रेजी का मतलब विद्वता नहीं है। मैं देश-विदेश में जहाँ भी जाऊं, हिंदी में ही बोलता हूँ। हिंदी के कारण ही मेरा सम्मान बढ़ा। हम तय कर रहे हैं कि मेडिकल की कुछ सीटें हिंदी पढ़ने वालों के लिए आरक्षित करेंगे। स्व. अभय छजलानी संपादक, लेखक, समाजसेवी और एक अच्छे इंसान थे। इंदौर के वर्तमान स्वरूप को बनाने में उनका अविस्मरणीय योगदान रहा। उन्होंने नर्मदा जी के लिए आंदोलन किया, खेल पत्रकारिता को बढ़ावा दिया। मैं उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।

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