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राहुल गांधी : न घर के रहे न घाट के.. BJP बोली-लालू का श्राप लगा..!

गिरिराज बोले-सांसद रहते राहुल ने आरजेडी सुप्रीमो के बचाव वाला अध्यादेश फाड़ा था, मिलते भी नहीं थे

दिल्ली। राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हो गई है और उनकी हालत अब घर के रहे न घाट के वाली हो गई है। राहुल गांधी अब बड़ी मुसीबत में फंस चुके हैं। कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है और बीजेपी पर हमले बोल रही है। लेकिन इस हालत के लिए राहुल ही ज्यादा जिम्मेदार हैं। अगर 10 साल पहले उन्होंने वह अध्यादेश न फाड़ा होता तो आज उनकी सांसदी न जाती। अब इस मामले में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बयान भी सामने आया है। गिरिराज ने कहा कि 2013 में जब चारा घोटाले में आदेश आया था और लालू प्रसाद की सदस्यता जाने वाली थी, उस समय राहुल लालू से नहीं मिलते थे। राहुल ने तब अध्यादेश को फाड़ दिया था। गिरिराज का कहना है कि लालू ने उस समय राहुल को जो श्राप दिया था, उसी के कारण उनकी यह हालत हुई है।
24 सितंबर 2013 को राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार का अध्यादेश फाड़ा था
2013 में जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सांसद या विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। तब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र की मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाता। 24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, जिसमें कांग्रेस नेता पत्रकारों से अध्यादेश की उपलब्धियां बता रहे थे। इसी दौरान सांसद राहुल गांधी वहां पहुंच गए और पत्रकारों से कहा कि ये अध्यादेश बकवास है। इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया। इसके बाद मनमोहन सरकार की खूब किरकिरी हुई और अंत में ये अध्यादेश वापस ले लिया गया।
लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल आउट
राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होते ही लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल का नाम हटा दिया। राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे। राहुल ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।
अमेठी में चल रही थीं चुनाव लड़ाने की तैयारी
कांग्रेस राहुल गांधी को 2024 का चुनाव फिर से अमेठी से लड़ाने की तैयारी कर रही थी। 2019 के चुनाव में राहुल बीजेपी की स्मृति ईरानी से हार गए थे। स्थानीय कांग्रेस नेता बैठक कर राहुल के चुनाव लड़ने की रणनीति बना रहे थे, लेकिन उससे पहले ही राहुल मुसीबत में फंस गए। अब अगर उन्हें सजा होती है तो 6 साल तक वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस तरह 8 साल तक राहुल चुनावी मैदान से दूर रह सकते हैं।

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