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ऐसे थे पं. दीनदयाल, कहा था-शादी कर लूंगा तो कहीं देश सेवा न छूट जाए

  • डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहते थे, यदि मेरे पास दो दीनदयाल हों, तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा बदल सकता हूं
  • भाजपा ने प्रत्येक बूथ पर मनाया दीनदयाल उपाध्याय का पुण्यतिथि का कार्यक्रम

जबलपुर। ‪आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे महान व्यक्तित्व के साथ-साथ साफ छवि थी। वे अपने से ज्यादा चिंता देश के गरीबों की करते थे। पंडित दीनदयाल के परिवार वालों ने शादी के लिए उनसे कई बार कहा। बहुत से प्रस्ताव भी आए पर उन्होंने शादी नहीं की। वे कहत थे कि अगर शादी कर लूंगा तो कहीं देश सेवा न छूट जाए। वे अपने नए कपड़े भी दूसरों को दे देते थे। पंडित जी सात्विक भोजन ही किया करते थे। परिवार के लोगों ने बताया कि आजादी के बाद के दौर में लड़कियों के पढ़ने पर प्रतिवंध था। लेकिन दीनदयाल उपाध्याय लड़कियों को लेकर स्कूल लेकर थे और स्कूल से लेने भी आते थे।
कुंडली देखकर बताया था, आगे चलकर बालक महान विद्वान व विचारक बनेगा
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश की पवित्र ब्रजभूमि में मथुरा में नगला चंद्रभान गाँव में हुआ था। बताया जाता है कि बचपन में एक ज्योतिषी ने इनकी कुंडली देखकर भविष्यवाणी की थी कि आगे चलकर यह बालक महान विद्वान व विचारक बनेगा, मगर ये विवाह नहीं करेगा। बचपन में ही दीनदयालजी को एक गहरा आघात सहना पड़ा, जब बीमारी के कारण उनके भाई की असामयिक मृत्यु हो गयी।
ऐसा रहा पंडित दीनदयाल उपाध्याय का राजनीतिक सफर
अपने मित्र बलवंत महाशब्दे की प्रेरणा से वे 1937 में राष्ट्रीय स्वयंसेवकसंघ में शामिल हो गए। भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा वर्ष 1951 में की गई और दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया। वे लगातार दिसंबर 1967 तक जनसंघ के महासचिव बने रहे। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी उनके लिए गर्व से सम्मानपूर्वक कहते थे कि यदि मेरे पास दो दीनदयाल हों, तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा बदल सकता हूं। लेकिन अचानक वर्ष 1953 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असमय निधन से पूरे संगठन की जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय के युवा कंधों पर आ गई। उन्होंने लगभग 15 वर्षों तक महासचिव के रूप में जनसंघ की सेवा की। दीनदयाल उपाध्याय को दिसंबर 1967 में कालीकट में जनसंघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। 11 फरवरी, 1968 को पं. दीनदयाल की रहस्यमय से तरीके से मौत हो गई। उप्र के मुगलसराय रेलवे यार्ड में उनकी लाश मिलने से सारे देश में शौक की लहर दौड़ गई थी। इस हत्या को कई लोगों ने निंदा की लेकिन सच तो यह है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे लोग समाज के लिए सदैव अमर रहते हैं।
104 वर्ष की हैं दीनदयाल जी की छोटी बहन महादेवी मुदगल

ऐसे थे पं. दीनदयाल, कहा था-शादी कर लूंगा तो कहीं देश सेवा न छूट जाए
महाराणा प्रताप वार्ड के पार्षद जीतू कटारे ने बताया कि उन्हें दीनदयाल जी के परिवार से भेंट कर पंडित जी की कुछ पुरानी बातों को भी जानने का अवसर मिला। दीनदयाल जी की छोटी बहन 104 वर्षीय महादेवी मुदगल ने उन्हें सहजता से बताया कि पंडित जी ने देश की सेवा के लिए शादी नहीं की। वे बेहद सजह रहा करते थे और देश को बदलना चाहते थे। जीतू कटारे ने उनको पुष्प, शाल श्रीफल देकर आशीर्वाद दिया। अपने बूथ पर भी माल्यार्पण कर पुण्यतिथि मनाई‪। दीनदयाल जी का जीवन राष्ट्रसेवा व समर्पण का एक विराट प्रतीक है। मातृभूमि के उत्थान के प्रति उनके समर्पण भाव ने हमें प्रेरित कर सदैव हमारा मार्गदर्शन किया है! जीतू कटारे पंडित दीनदयाल जी की जन्मजयंती व पुण्यतिथि दोनों दिन महादेवी मुदगल का आशीर्वाद लेने उनके निवास स्थान जाते हैं।

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