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विधानसभा चुनाव की तैयारी : मप्र के सदन में अविश्वास पर टकराए पक्ष-विपक्ष..!

  • कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कसे तंज
  • जीतू पटवारी ने लगाया, शासकीय कर्ज से बीजेपी कार्यकर्ताओं को भोजन करवाने का आरोप

भोपाल। मप्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गुरूवार को पक्ष-विपक्ष में टकराव देखने को मिला। विपक्ष ने जहां भ्रष्टाचार के आरोप लगाए तो सत्ता पक्ष की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमान संभालते हुए कांग्रेस कार्यकाल के भ्रष्टाचार याद दिलाए। राऊ से कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि विधायक खऱीदी के अलावा सभी हिसाब उनके पास हैं। मैं बिना प्रणाम के कोई बात नहीं करता हूँ। उन्होंने कहा कि शिवराज जी आपने बीजेपी कार्यकर्ताओं को भोजन करवाने में भी शासकीय कर्ज़़ का उपयोग किया है। आज मध्यप्रदेश में गरीब, किसान और बेरोजगार युवा रो रहा है। परेशान और कर्जदार जनता का पैसा भाजपा की सुविधा पर खर्च हो रहा है।

विपक्ष पर शिवराज ने यह किया पलटवार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ऐसा लचर अविश्वास प्रस्ताव उन्होंने तो देखा ही नहीं है। अगर अविश्वास की बात करें तो कांग्रेस में कौन किस पर विश्वास करता है, समझ में ही नहीं आता है। कांग्रेस की सरकार में ट्रांसफर-पोस्टिंग को धंधा बना दिया गया था। मंत्रालय दलालों का अड्डा बन गया था। सिंचाई के लिए पाइप लाइन की गुणवत्ता से भी कांग्रेस सरकार ने खिलवाड़ किया था। सीएम ने आरोप लगाए कि घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग कर पैसों की बंदरबांट हुई थी। तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने भाजपा के विधायकों, नेताओं से बदले की भावना से कार्रवाई करने की कोशिश की। संपत्तियों को नेस्तनाबूद करने का कुचक्र रचा, कई दुकानें तोड़ी गईं। लेकिन भाजपा ने राजनीतिक विद्वेष में कभी कोई कार्रवाई नहीं की। भाजपा सरकार ने प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के लिए गुंडे, माफिया, बदमाशों पर कार्रवाई की, उनकी अवैध संपत्तियों को तोड़ा। जब तक कांग्रेस की सरकार थी बैगा, सहरिया, भारिया सहित अन्य जनजातीय समुदाय के पात्र हितग्राहियों के खातों में राशि नहीं पहुंची थी। कांग्रेस ने जनजातीय समुदाय के साथ भी धोखा किया।

कांग्रेस को तोडऩा होता तो सरकार बनान ही नहीं देते

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 11 दिसंबर 2019 को मतगणना का दिन था। रात के 2 बजे तक हमने चुनाव परिणाम देखे और जो परिणाम आए। उसमें हमारी 109 सीटें थी कांग्रेस की 114 सीटें थीं। रात में मैं निश्चय करके सोया था कि सुबह ही मैं इस्तीफा दे दूंगा। एक नहीं अनेकों सदस्य रास्ते में थे। मुझे जोर देकर कहा गया कि इस्तीफा नहीं देना है। लेकिन मैंने कहा कि मेरी अंतरात्मा गवाही नहीं देती, सीटें कांग्रेस की ज्यादा है। सरकार उनको बनानी दो। सीएम ने कहा कि अगर हमें कांग्रेस को तोडऩा होता, तो हम कांग्रेस की सरकार बनने ही नहीं देते।
लाखों गरीबों के नाम काट दिए

शिवराज ने कहा कि गरीबों के कल्याण के लिए शुरू की गई भाजपा सरकार की संबल योजना से कांग्रेस की सरकार ने लाखों गरीबों के नाम काट दिए। लैपटॉप देने की योजना शुरू की थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे बंद कर दिया था। यदि कांग्रेस सरकार ने जनकल्याण और प्रदेश के विकास के लिए कार्य किया होता, तो उनकी ही सरकार के मंत्री छोडक़र हमारे साथ नहीं आते। जनता ने उन्हें उपचुनाव में भारी बहुमत से फिर से निर्वाचित किया। कोरोना संकट से निबटने के लिए कांग्रेस की सरकार ने कोई तैयारी नहीं की थी। मेरी सरकार के पौने दो साल तो कोरोना से निबटने में ही निकल गए। 500 से ज्यादा बैठकें मैंने कीं और दिन-रात हमारी सरकार ने काम किया। शिवराज ने कहा कि कांग्रेस ने मध्यप्रदेश पर कर्ज का बोझ लाद देने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने भी रु.30 हजार करोड़ का कर्ज लिया था, हमने उसे 48 हजार करोड़ किया। उस राशि का उपयोग आधारभूत ढांचों के विकास व जनता के कल्याण के लिए कर रहे हैं और हमने कर्ज की सीमा नहीं लांघी है।

कर्जमाफी पर वार-पलटवार

सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि 10 दिनों में कर्ज माफी कर दी जाएगी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया। रंग-बिरंगे फार्म, निजी और सरकारी बैंकों में भेद जैसे अलग-अलग उपायों से किसानों को उलझाया गया। हमने प्रदेश के किसानों के खातों में 2 लाख 12 हजार 464 करोड़ रुपए डाले हैं, जबकि आपने ऊंट के मुंह में जीरा के समान महज 7000 करोड़ रुपए किसानों को दिए थे। इस पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि सीएम साहब ने मान तो लिया है कि कांग्रेस ने किसानों के खाते में रूपए डाले हैं और उनका कर्ज माफ किया है।

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