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ॐ और अल्लाह एक हैं.. बोले अरशद मदनी तो मचा बवाल.. पढ़ें पूरा बयान

  • दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रहा जमीअत उलेमा-ए-हिंद का महाअधिवेशन

नई दिल्ली। अल्लाह ने पहले नबी हज़रत आदम को भारत में उतारा और आखिरी नबी मोहम्मद साहब को अरब में उतारा। हम आदम कहते हैं हिन्दू मनु कहते हैं। सबसे पहले ला इलाहा इल्लाह की आवाज़ हिंदुस्तान में उतरी, जिस ओम की इबादत मनु करते थे, उसी अल्लाह की इबादत आदम करते थे। इसलिए ओम और अल्लाह एक ही हैं। यह कहना है मौलाना अरशद मदनी का। उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीअत उलेमा-ए-हिंद के महाअधिवेशन में यह बात कही तो बवाल मच गया। उनके इस पर जैन गुरु लोकेश मुनि ने आपत्ति जताई। इसके बाद तो जैन और कई दूसरे धर्मगुरुओं ने मंच ही छोड़ दिया। पढ़ें और क्या बोले मौलाना अरशद मदनी।
1400 साल से साथ रह रहे
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हम और आप करीब 1400 साल से साथ रह रहे हैं। हमने कभी किसी से जबरन धर्म परिवर्तन नहीं कराया। उनका मानना है कि अगर कोई जबरन धर्म परिवर्तन कराता है तो वो बहुत दिनों तक नहीं हो सकता। अफगानिस्तान में सुपर पावर ने हर ताकत आजमा ली, लेकिन वहां मस्जिदों से आज भी अल्लाह हू अकबर की सदाएं गूंज रही हैं।
मर जाएंगे लेकिन अपने अल्लाह को नहीं भूलेंगे
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमारे पूर्वज तो मनु हैं और हमें कहते हो कि घर वापसी कर लो। हम मर जाएंगे लेकिन अपने अल्लाह को नहीं भूलेंगे। जमीयत उलेमा-ए-हिंद का मानना है कि मजहबी घृणा और सांप्रदायिकता पूरे देश के लए अत्यंत घातक है। अलग-अलग मजहबों के बीच मित्रता और बंधुत्व हमारे समाज की गौरवशाली विशेषताएं हैं। उन्होंने कहा कि इन संबंधों में दरार पैदा करना राष्ट्रीय अपराध है। सभी दलों और राष्ट्र हितैषियों को एकजुट होकर कट्टरवादी, विभाजनकारी और फासीवादी शक्तियों का मुकाबला करना चाहिए। देश में भाईचारा, आपसी सहिष्णुता और न्याय की स्थापना आवश्यक है।
आरएसएस-भाजपा से शत्रुता नहीं, विचारधारा का विरोध
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि राष्ट्रीयता और हिंदू-मुस्लिम एकता हमारी धरोहर हैं। कभी इस्लाम, कभी हिंदुत्व और कभी ईसाइयत के नाम पर जिस आक्रामक साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह ठीक नहीं है। हमारी आरएसएस और भाजपा से कोई शत्रुता नहीं है, बल्कि हमारा उनसे विरोध विचारधारा के स्तर पर है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागत के बयान जिसमें आपसी मेलजोल और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन मिलता है, हम उसका स्वागत करते हैं। हम आपसी भेदभाव, द्वेष और अहंकार भुलाकर अपने प्यारे देश को दुनिया का ’सुपर पावर देश बनाने का आहवान करते हैं।

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