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MP News :- एमपी की कालोनियों में एसटीपी लगाने का प्लान फेल

 

  • बिल्डरों पर टी एंड सीपी गाइडलाइंस की रेलमपेल
  • जल-मल निकासी से दो -चार हो रही राज्य की अधिकांश आबादी

जबलपुर/भोपाल,हिट वाइस न्यूज। हम कल्पना करें कि जब मप्र की खेती-किसानी वाली अधिकांश भूमि आवासीय भूमि में तब्दील हो जाएगी और उसमें लोग मकान बनाकर रहने लगेंगे तो यह स्वाभाविक है कि घरों से जल-मल भी निकलेगा और उसका निकासी प्रबंधन भी होना चाहिए वरना आवासीय इलाके जल-मल से मग्न हो जाएंगे। सोचिए यदि चुस्त-दुरुस्त निकासी व्यवस्था नहीं होगी तो लोगों को नरक समान जीवन जीने को विवश होना पड़ जाएगा। जी हां, चौंकिएगा नहीं यह समस्या भी बढ़ती आबादी, बढ़ते मकान और खेतीहर जमीन पर तेजी से विकसित हो रहीं कालोनियों के कारण जल्द ही देखने को मिलेगी। राज्य सरकार के पास योजना तो है मगर इसका मौके पर अमल प्रशासन की अक्षमता के कारण नहीं हो रहा है।

मप्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट में कालोनाइजरों के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की गाइडलाइंस है। परन्तु मौके पर इसका पालन हो रहा है या नहीं , यह कालोनाइजर एक्ट के तहत पालन कराने की जवाबदेही हर जिले के कलेक्टर की है। दुर्भाग्यवश,ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। नतीजा यह निकल रहा है कि पहले शहरी आबादी जल-मल के ट्रीटमेंट की व्यवस्था के अभाव में जलप्लावन की समस्या से जूझ रही थी,और अब शहरी सीमा पर ग्रामीण क्षेत्रों में डेवलप हो रही कालोनियों में जल-मल निकासी पर ब्रेक लगा हुआ है।प्रशासन कालोनाइजरों पर कानून का पालन करने के लिए दबाव नहीं बना पा रहा है। आइए आज इन्हीं खास कारणों पर नजर डालते हैं।

कानून बढ़िया बने हैं, परंतु अमल नहीं

जबलपुर समेत प्रदेश के बड़े जिलों में कालोनियों के विकास की अनुमति देते समय जिला कलेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की ओर से एनओसी जारी होने के बाद ही कालोनी बनाने की अनुमति देते हैं।इस अनुमति में टी एंड सी पी विभाग की गाइडलाइंस को मानने का निर्देश आवश्यक माना गया है।इसी गाइडलाइंस में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी)लगाकर कालोनी के जल-मल को ट्रीटमेंट करना जरूरी बताया गया है।ताकि जल-मल को सीधे नालों व नदियों में ले जाने से रोका जा सके।ट्रीटेड पानी को पार्क एवं अन्य उपयोग में लाए जाने का प्रावधान है। मगर, कोई भी बिल्डर एसटीपी लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है।

एसटीपी क्यों नहीं लगाते बिल्डर

टी एंड सी पी भोपाल में पदस्थ एक आला अधिकारी ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि एसटीपी लगाने का मतलब है कम से कम 1 करोड़ रुपए का निवेश। यदि बिल्डर एक कालोनी में करोड़ खर्च करके एसटीपी लगाने और फिर उसे चलाने में पूरी टीम को तैनात करेगा तो वह क्या कमाएगा।यही बड़ा सवाल है जिसकी वजह से एसटीपी की योजना सफल नहीं हो पा रही है,और कालोनी के निवासियों की जल-मल निकासी वाली समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।

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