चुनाव से पहले कर्नाटक में मुस्लिमों का रिजर्वेशन हटाया, लिंगायत होंगे निर्णायक
दिल्ली। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है। इसके साथ ही बीजेपी अपनी सरकार बचाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाने में जुट गई है। यही वजह है कि उसने बुजुर्ग नेता येदियुरप्पा को बीजेपी ने फ्रंट पर ला दिया है। एक तरह से मुख्यमंत्री तो बसवराज बोम्मई हैं, लेकिन चुनाव को लीड येदियुरप्पा ही करेंगे। क्योंकि वे लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं। यही वजह है कि भले ही बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया हो, लेकिन फिर भी चुनाव पर पूरा दारोमदार 80 साल के येदि पर ही होगा। कर्नाटक में 10 मई को वोटिंग होगी और नतीजे 13 मई को आएंगे।
येदि की लिंगायतों में मजबूत पकड़
पूर्व सीएम येदियुरप्पा की लिंगायतों में मजबूत पकड़ है और सरकार बनाने में लिंगायत समुदाय अहम रोल निभाते आए हैं। बोम्मई सरकार ने चुनाव के चंद दिनों पहले मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए मुस्लिमों को मिलने वाला 4 प्रतिशत रिजर्वेशन को खत्म कर दिया। इसे लिंगायतों और वोक्कालिगा के बीच बांट दिया गया है। हालांकि पार्टी का टारगेट 150 सीटें जीतने का है, लेकिन यह इतना भी आसान नहीं है। अभी तक हुए सर्वे में बीजेपी को कांग्रेस से पीछे बताया जा रहा है। हालांकि बहुमत किसी भी पार्टी को मिलता नहीं दिख रहा है। ऐसे में आने वाले एक माह में जो भी पार्टी बेहतर चुनाव प्रबंधन करेगी, जीत उसी की होगी।
जेडीएस-कांग्रेस बिगाड़ सकती है खेल
वैसे तो येदियुरप्पा चुनावी राजनीति से संन्यास ले चुके हैं। लेकिन जिस तरह पीएम मोदी और अमित शाह ने चुनावी रैलियों में उनका हाथ थामा, उससे साफ है कि दक्षिण के इस राज्य में आज भी येदि बीजेपी के लिए उतने ही उपयोगी हैं। हालांकि अब वे बेटों के लिए जगह बनाना चाह रहे हैं। उन्होंने इस बार बीजेपी को 130 सीटें जिताने का लक्ष्य रखा है। बीजेपी के लिए राहत की बात यह है कि 2018 में साथ में सरकार बनाने वाली कांग्रेस और जेडीएस अभी गठबंधन पर चुप हैं। अगर दोनों पार्टियां साथ आईं, तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ेंगीं।
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कर्नाटक चुनाव : बुजुर्ग नेता येदियुरप्पा ही होंगे BJP के तारणहार, हिंदू कार्ड भी खेला
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