जबलपुर। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं। नौ दिन तक मातारानी के भक्त मां की भक्ति में लीन रहेंगे। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है। नौ दिनों में जगतजननी के भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से माता की आराधना करते हैं। नवरात्रि के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं। इन दिनों कई शुभ कार्य किए जाते हैं। नवरात्रि की नौ तिथियां ऐसी होती हैं, जिसमें बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर सबसे ज्यादा लोग नए बिजनेस की शुरुआत करते हैं या फिर नए घर में प्रवेश करते हैं। चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष शुरू होता है। आइए बताते हैं घर में पूजा करने की विधि और पूजन सामग्री क्या है।
- कलश स्थापना के लिए मौली, आम के पत्ते का पल्लव ( 5 आम के पत्ते की डली), रोली, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत का उपयोग करें।
- जवार बोने के लिए मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, गेहूं या जौ, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, साफ जल, और कलावा रखें।
- अखंड ज्योति जलाने के लिए पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, रोली या सिंदूर, अक्षत का उपयोग करें।
- हवन के लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, रोलीया कुमकुम, अक्षत (चावल), जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए भोग, शुद्ध जल (आमचन के लिए) रखें।
- नवरात्रि में माता रानी के श्रृंगार के लिए लाल चुनरी, चूड़ी, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, बिछिया, माला, पायल, लाली व अन्य श्रृंगार के सामान रखें।
- पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाकर मुख्य द्वार पर आम और अशोक के पत्ते का तोरण लगाएं।
- एक चौकी बिछाकर वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।
- रोली और अक्षत से टीकें और फिर वहां माता की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद विधिविधान से माता की पूजा करें।
- उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में कलश रखना चाहिए और माता की चौकी सजानी चाहिए।
- कलश पर नारियल रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख नीचे की तरफ न हो।
- कलश के मुंह पर चारों तरफ अशोक के पत्ते लगाएं और फिर एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से इसे बांध दें।
- अब अम्बे मां का आह्वान करें। इसके बाद दीपक जलाकर पूजा करें।