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मुख्यमंत्री ब्याज माफी घोटाले ने उड़ा दी सरकार की नींद,अफसर के कांड सुना रह जाओगे दंग

छतरपुर जिले के गुलगंज कस्बे में हुए मुख्यमंत्री ब्याजमाफी घोटाले ने सरकार की नींद उड़ा दी है। जिस अफसर ने इस कांड को सुना दंग रह गया। ये घोटाला एक दो किसानों का नही बल्कि एक हजार से अधिक किसानों से जुड़ा हुआ है। शुरुआती दौर में गुलगंज सहकारी समिति अंतर्गत आने वाले गांवों की हकीकत सामने आई है।

इस घोटाले की गूंज भोपाल से लेकर छतरपुर तक होने के बाद जिला प्रशासन तो नही जागा बल्कि आरोपियों को कागजी और हांथ की सफाई का कमाल दिखाने का मौका दे दिया गया है। छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर ने अभी तक सारे रिकॉर्ड जब्त कर कार्यवाही शुरू क्यों नही की ये सोच का विषय है। हालांकि,अभी तक कलेक्टर की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े नही हुए हैं।

जानकारी के अनुसार को-ऑपरेटिव बैंक मैनेजर अजय असाटी और समिति प्रबंधक इस पूरे मामले के मास्टर माइंड बताए जाते हैं। ये दोनो ही कर्मचारी मानते हैं की मुख्यमंत्री कृषक ब्याजमाफी की राशि किसानों के खाते में डाली गई। लेकिन डालने के बाद उसी दिन किसानों के खाते से क्यों निकली गई? और ये राशि निकलने के बाद कहां गई,कौन खा गया इसका जवाब इनके पास नही है। सूत्र बताते हैं कि अब अपनी गर्दन बचाने के लिए कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। किसानों में जिला प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर जबरदस्त आक्रोश है।

करोड़ों के मालिक समिति सेवक रामकिशन राजपूत की नौकरी करीब 10 साल की है। इस दौरान नौकरी में रहते हुए छतरपुर में करीब एक करोड़ से अधिक का आलीशान बंगला,मंहगी कार,परिजनों के नाम पर दो ट्रक आदि खरीद लिए हैं। जो कि आय से 100 गुना अधिक बताया जा रहा है। इसके पहले ये व्यक्ति भतपुरा सोसाइटी में पदस्थ था। इस दौरान खाद,बीज की कालाबाजारी और किसानों की ऋण माफी घपले में विवादास्पद रहा है।

अजय कुमार असाटी इनके ऊपर भी लंबे समय से भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते आए हैं,लेकिन विभागीय सांठगांठ के चलते इनके मामले दबते आए। जानकर बताते हैं कि ये महाशय भी अवैध कमाई के जरिए छोटी सी नौकरी में करोड़ों के मालिक बन गए। किसानों से अवैध वसूली,रिकॉर्ड में हेराफेरी,सरकारी खजाने में गोलमाल इनका पूरा खेल है। आलीशान मकान,गाडियां,जमीनों के स्वामी बने बैठे हैं। सूत्र बताते हैं कि आय से सौ गुना संपत्ति अर्जित करने के प्रमाण हैं।

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