देखें क्या बोले शिवराज-
- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चेताया, उज्जैन में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सुजलाम को किया संबोधित
उज्जैन। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में पंचमहाभूत की अवधारणा पर पर्यावरण का देशज विमर्श स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सुजलाम को संबोधित किया। उन्होंने विश्व को चेताते हुए कहा कि पर्यावरण बिगड़ गया है। 2050 तक धरती का तापमान 2 डिग्री बढ़ जाएगा, जिसकी वजह से ग्लेशियर पिघलेंगे। उन्होंने कहा कि समुद्र में जलस्तर बढ़ जाएगा तो समुद्र के किनारे रहने वाले कई नगर डूब जाएंगे। सीएम ने कहा कि हमारे यहां कुछ ऐसे गांव थे, जहां गर्मियों में ट्यूबवेल, कुएं और हैंडपंप से पानी प्राप्त करने में कठिनाई होती है, क्योंकि वॉटर लेवल बहुत नीचे पहुंच गया है। इसलिए हम ऐसे गांवों में तालाब, चेकडैम बनाकर जलस्तर को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। शिवराज ने कहा कि जलतत्व का यह कार्यक्रम समाज व सरकार को दिशा देगा और इस मंथन से जो अमृत निकलेगा, उसको जनता के बीच में बांटने का सरकार की ओर से हम समाज के साथ मिलकर प्रयास करेंगे।
पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही
कार्यक्रम में कनेरी मठ के मठाधिपति स्वामी अदृश्यकाड सिद्धेश्वर महाराज जी और भैयाजी जोशी व गजेंद्र सिंह शेखावत व अन्य विद्वतजनों ने सहभागिता की। सीएम ने कहा कि महाकाल महाराज की धरती पर और माँ क्षिप्रा के तट पर आप सबका हृदय से स्वागत व अभिनंदन करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया भारत की ओर समाधान की दृष्टि से देख रही है। नर्मदा जी कल-कल, छल-छल करके बहती रहें, इसलिए जनजागरण के लिए नर्मदा सेवा यात्रा निकली। हम सबने प्रकृति का शोषण किया है। सीएम ने कहा कि भारतीय चिंतन कहता है कि प्रकृति का दोहन करो, शोषण नहीं। मनुष्य ने प्रकृति का दोहन करने की बजाय शोषण भी किया और नुकसान भी पहुंचाया। खेतों में खाद, यूरिया, डीएपी से मिट्टी को भारी क्षति हुई है। हम अपनी जरूरतों के लिए प्रकृति का नुकसान नहीं कर सकते।
नर्मदा इसलिए प्रवाहमान
शिवराज ने कहा कि नर्मदा जी में सदैव पानी कैसे बना रहे, इसका सबसे अच्छा साधन है अधिक से अधिक पौधरोपण। क्योंकि नर्मदा नदी में पानी पहाड़ों के बर्फ पिघलने से नहीं, बल्कि बारिश का पानी पेड़ों की जड़ों में अवशोषित होने से प्रवाहमान होता है। उन्होंने कहा कि जल संबंधी समस्या तो है और इसका समाधान भी होना चाहिये। इसलिए भैयाजी जोशी और दीनदयाल शोध संस्थान को धन्यवाद देता हूं कि पंचतत्व और जलतत्व के बारे में विचार किया। हम सोचेंगे, तो कार्ययोजना बनेगी और समाधान होगा।
विकसित देशों में जब सभ्यता का उदय नहीं हुआ था, तब वेदों की ऋचाएँ रच दी थीं
सीएम ने कहा कि भारतीय संस्कृति एकात्मवादी है। दुनिया के तथाकथित विकसित देशों में जब सभ्यता के सूर्य का विकास नहीं हुआ था तब हमारे ऋषियों ने वेदों की ऋचाएँ रच दी थीं। वसुधैव कुटुम्बकम् का मंत्र इसी महान धरती से गूँजा। शादी की इससे बढिय़ा वर्षगांठ और क्या हो सकती है कि पति-पत्नी दोनों मिलकर पेड़ लगाएं।