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पूर्वजों के औषधीय ज्ञान की अद्भुत धरोहर है आयुर्वेद.. अब सारी दुनिया हुई परिचित

राज्यपाल ने पंडित उद्धव दास मेहता पुरस्कार प्रदान किए, कहा-आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति रोगों को करती जड़ मूल से ख़त्म
भोपाल। हमारे पूर्वजों के औषधीय ज्ञान की यह अद्भुत धरोहर है। आयुर्वेद की महिमा से कोविड काल में सारी दुनिया परिचित हुई है। रोगों के उपचार की विभिन्न चिकित्सा प्रणालियां हैं। आयुर्वेद ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो ज्ञान, आचार विचार और उपचार पर आधारित है। रोगों को जड़ मूल से खत्म करने वाली पद्धति है। यह कहना मप्र के राज्यपाल मंगुभाई पटेल का। वे पंडित उद्धवदास मेहता वैद्य शास्त्री आयुर्वेद सेवा सम्मान पुरस्कार वितरण के बाद उपस्थितजन का संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वर्ष 2017 से वर्ष 2021 तक कुल पांच वर्षों के पुरस्कार प्रदान किए।
आयुर्वेद के संबंध में जन जागरूकता के प्रसार की जरूरत
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि आयुर्वेद भारतीय जीवन पद्धति का अंग है। पेट दर्द के लिए नीम की छाल, सर्दी जुकाम के लिए अणुषा का उपयोग घर-घर में होता था। आयुर्वेद के संबंध में जन जागरूकता के प्रसार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जानकारी का अभाव विकास की सबसे बड़ी बाधा है। मध्यप्रदेश में करीब 1 करोड़ 90 लाख जनजातीय आबादी का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रदेश जनजाति समुदाय का बड़ा भाग अनुवांशिक सिकल सेल एनीमिया रोग से पीड़ित है। जानकारी के अभाव में रोग सदियों से व्याप्त है। रोग पीड़ित की अल्पायु में ही मृत्यु हो जाती है, जो जीवन काल होता है, वह भी अत्यंत दर्द भरा होता है। प्रदेश के राज्यपाल बनने पर उन्होंने समस्या के प्रति जनजागरण की पहल की। राज्य शासन द्वारा झाबुआ अलिराजपुर दो जिलों में जनजातीय आबादी की जांच करा कर उपचार, प्रबंधन और परामर्श सेवायें उपलब्ध कराई हैं।
महाविद्यालय में सबसे बड़ा हर्बल गार्डन निर्माणाधीन है
राज्यमंत्री आयुष स्वतंत्र प्रभार रामकिशोर कांवरे ने कहा कि प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया रोग के उपचार के लिए आयुर्वेद महाविद्यालय में अनुसंधान किया जा रहा है। महाविद्यालय में सबसे बड़ा हर्बल गार्डन निर्माणाधीन है, जिसमें आयुर्वेद की जड़ी बूटियों का उत्पादन होगा। गुजरात से आए सिकल सेल रोग की आयुर्वेदिक औषधि की खोज करने वाले डॉक्टर अतुल देसाई ने कहा कि आयुर्वेद को विश्व स्तर पर पहुंचाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने आयुर्वेद में बायोटेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर, फार्माकोलॉजी आदि को एकीकृत करने की जरूरत बताई। उन्होंने बताया कि वे आयुर्वेदिक औषधि के द्वारा सिकल सेल रोग के क्लीनिकल प्रबंधन का कार्य कर रहे हैं।

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