- अगले साल 2024 को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए बिगुल बजा
- रिपब्लिक पार्टी से निक्की हेली तो डेमोक्रेटिक पार्टी से कमला हेरिस का नाम
नई दिल्ली। पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। यह बात तो पीएम मोदी और भाजपा नेता कहते ही हैं। लेकिन अब ऐसा हकीकत में हो रहा है। पहले भारतवंशी रिषी सुनक इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बने और अब बारी दुनिया के सबसे बड़े देश और सुपरपावर अमेरिका की है। हो सकता है यहां भी कोई भारतवंशी अमेरिका की कुर्सी यानि व्हाइट हाउस तक पहुंच जाए। ऐसा इसलिए कि यूएसए में रिपब्लिक पार्टी से निक्की हेली और डेमोक्रेटिक पार्टी से कमला हेरिस का नाम राष्ट्रपति पद के लिए आगे चल रहा है। निक्की हेली जल्द ही अपनी उम्मीदवारों का ऐलान कर सकती हैं, तो कमला हेरिस भी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
ट्रंप को चुनौती
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रिलब्लिक पार्टी से राष्ट्रपति रह चुके हैं। उनका कार्यकाल भले ही विवादित रहा हो, लेकिन वे फिर से 2024 में चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। बहरहाल उन्हें चुनौती देने के लिए एक भारतवंशी भी खड़ी हो गई हैं और वे हैं साउथ कैरोलिना राज्य की पूर्व गवर्नर निक्की हेली जो 2024 में होने वाले चुनाव के लिए उतरने की तैयारी में हैं। वे ट्रंप के राष्ट्रपति रहने के दौरान संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत भी रह चुकी हैं। उनसे ट्रंप को तगड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।
कई नेता भी तैयारी में
2024 में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर उतरने की होड़ में कई बड़े नेता शामिल हैं। फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डिसेंटिस , पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पैंस, यूएस सीनेटर टिम स्कॉट, न्यू हैंपशायर के गवर्नर क्रिस सुनुनू और अराकंसास के पूर्व गवर्नर असा हचिन्सन शामिल हैं।
पंजाब से है नाता
20 जनवरी, 1972 को अमेरिका के बमबर्ग में जन्मीं निक्की हेली के पिता अजीत सिंह रंधावा भारत में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। अजीत और उनकी पत्नी राज कौर रंधावा 1960 में पंजाब से पहले कनाडा गए और वहां से अमेरिका चले गए। निक्की का नाम निम्रत रंधावा था। 1996 में उन्होंने माइकल हेली से शादी की तो उनका नाम निक्की हेली हो गया। उनके 2 बच्चे हैं और वे 2005 में अमेरिकी संसद में पहुंची थीं।
चीन और पाकिस्तान की शामत
निक्की हेली या कमला हेरिस में से अगर कोई राष्ट्रपति बनता है, तो सबसे ज्यादा मुसीबत चीन और पाकिस्तान की होगी। दोनों नेता चीन की विरोधी मानी जाती हैं और उनके बयान चीन विरोधी ही रहे हैं। इसी तरह दोनों नेताओं की पाकिस्तान में कोई रूचि नहीं है। ऐसे में अगर दोनों में से कोई भी राष्ट्रपति बनता है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा भारत को ही होगा। भारत के अभी अमेरिका से अच्छे संबंध हैं। भारत के साथ एयरबस और बोइंग की 6.40 लाख करोड़ की डील से भी अमेरिका से रिश्ते मजबूत हुए हैं।