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बाघों-तेंदुओं का कोर एरिया बढ़ाने के लिए यहां हो होगी 9 गांवों की शिफ्टिंग

  • 6 गांव की शिफ्टिंग और होना बाकी, खाली कराने की प्रक्रिया शुरू
  • रातापानी सेंचुरी में जानवरों के लिए की जा रही इंसानों की शिफ्टिंग

भोपाल। कभी जानवरों के लिए इंसानों की शिफ्टिंग की शिफ्टिंग की जाती है तो कभी इंसानों के लिए जानवरों को शिफ्ट किया जाता है। जंगल का तो यही कानून है, जिसका समयानुसार पालन होता है। रातापानी सेंचुरी में भी ऐसा ही हो रहा है जहां बाघों और तेंदुओं का कोर एरिया बढ़ाने के लिए वन विभाग ने नीलगढ़ और धुनवानी गांव की शिफ्टिंग शुरू कर दी है। यहां के परिवारों को रायसेन जिले के तामोट के पास बसाया जा रहा है। ये स्थान भोपाल- जबलपुर हाइवे के नजदीक है। दोनों गांव के लोगों को विस्थापित करने की प्रक्रिया लंबे समय से अटकी हुई थी, लेकिन अब रहवासियों की सहमति मिलने और केंद्र से राशि जारी होने के बाद विस्थापन की कार्रवाई शुरू हो गई है।
132 परिवारों के लिए 32 करोड़ 55 लाख रुपए राशि भी जारी
यहां से कुल 9 गांव विस्थापित होना है। अभी इसमें दांत खोह को विस्थापित कर दिया गया है। शिफ्ट किए जा रहे नीलगढ़ और धुनवानी गांव के 132 परिवारों के लिए केंद्र ने 32 करोड़ 55 लाख रुपए राशि भी जारी की है। दोनों गांवों में कुल यूनिट 217 है। प्रत्येक यूनिट को 15 लाख रुपए दिए जाएंगे। नीलगढ़ और धुनवानी की शिफ्टिंग के बाद जैतपुर एवं साजोली को शिफ्ट किया जाएगा।
बाघ तो बढ़े, लेकिन वन अमला और संसाधन बहुत ही सीमित
रातापानी सेंचुरी अधीक्षक सुनील भारद्वाज ने बताया कि सेंचुरी में बाघ तो बढ़े हैं, लेकिन वन अमला और संसाधन बहुत ही सीमित है। ऐसे में बाघों के भोजन मैनेजमेंट के लिए शाकाहारी वन्य प्राणियों के लिए प्राथमिक तौर पर ग्रासलैंड तैयार किया जा रहा है। रातापानी सेंचुरी में जंगल सफारी शुरू होने के बाद वन अधिकारियों को अहसास हुआ कि वन्य प्राणियों की संख्या पर्यटकों को कम दिखाई दे रही हैं। इसके बाद ग्रास लैंड तैयार किए जाने का निर्णय लिया गया। प्रबंधन ने सेंचुरी के अंदर स्थित वन ग्राम शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले वनग्राम दांत-खोह को विस्थापित किया गया था। इसके बाद इस इलाके में शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ी हैं।

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