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क्या दादी ‘इंदिरा गांधी’ की तरह संसद से बाहर किए जाएंगे ‘राहुल गांधी’..?

दिल्ली। भाजपा राहुल गांधी को चौतरफा घेरने में लगी हुई है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर शिकायत की है कि ऐसे भाषण किसी भी भारतीय और खासकर सांसद के आचरण पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने मांग की है कि ऐसे में विशेष कमेटी बनाकर उनके आचरण की जांच की जाए और लोकसभा सदस्यता रद्द की जाए। अगर ऐसा हुआ तो राहुल गांधी अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह ही संसद से निकाले जा सकते हैं। लेकिन एक खतरा यह भी है कि अगर ऐसा हुआ तो राहुल गांधी को इससे लाभ हो सकता है। वह खुद को शहीद का दर्जा देकर जनता से सिम्पैथी हासिल कर सकते हैं। ऐसे में लगता तो यही है कि भाजपा उन्हें घेरने के लिए यह सब कर रही है। ऐसे में लोकसभा की सदस्यता रद्द करवाने जैसा कदम वह नहीं उठाएगी।

यह बोले बीजेपी सांसद

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि राहुल गांधी ने यूरोप और अमेरिका में अपनी बयानों से लगातार संसद और देश की गरिमा को धूमिल किया है। इसलिए उन्हें संसद से निष्कासित करने का समय आ गया है। उनकी लोकसभा सदस्यता को खत्म किया जाना चाहिए। दरअसल राहुल गांधी ने भारत में लोकतंत्र पर खतरा बताकर यूरोप और अमेरिका को दखल देने में नाकाम रहने की बात कही थी। भाजपा इसी को मुद्दा बनाए हुए है।

बीजेपी राहुल पर हमलावर

अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर हमलावर हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा, राजनाथ सिंह और पीयूष गोयल ने राहुल को देश से माफी मांगने को कहा। नड्‌डा ने तो यह भी कह दिया कि दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गई है। जनता के बार-बार नकारे जाने के बाद राहुल गांधी इस देश विरोधी टूलकिट का एक परमानेंट हिस्सा बन गए हैं।

1978 में इंदिरा गांधी की सदस्यता खत्म कर जेल भेजा गया था

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 से 1977 तक 21 महीने के लिए देश में आपातकाल लागू किया। 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का आरोप लगाया गया। उन पर काम में बाधा डालने, कुछ अधिकारियों को धमकाने, शोषण करने और झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप था। इसके बाद संसद में साधारण प्रस्ताव के जरिए 20 दिसंबर 1978 को उनकी संसद सदस्यता खत्म कर दी गई। साथ ही सत्र चलने तक जेल भेजने का आदेश दिया गया। हालांकि एक महीने बाद लोकसभा ने उनका निष्कासन वापस ले लिया था। लेकिन उस समय सत्ताधारी दल यानि जनता पार्टी को यह दांव महंगा पड़ गया। अगले चुनाव में इंदिरा गांधी वापस लौटीं और फिर प्रधानमंत्री बनीं। हालांकि तब उन्होंने विपक्ष का दमन करने का प्रयास नहीं किया।

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