- यूसीसी के सपोर्ट में आया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड
- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले कर चुका है विरोध
लखनऊ। देश में समान नागरिक संहिता को लाए जाने की देश व्यापी चर्चाओं के बीच मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका खुलकर समर्थन किया है। इस कानून का मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही विरोध कर चुका है और इस बात को लेकर ला कमीशन के समक्ष अपनी आपत्ति भेज चुका है। इसके जवाब में मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की चेयरपर्सन शाइस्ता अम्बर ने कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कुछ खास मुस्लिम परिवारों का प्रतिनिधित्व करता है और उसका आम मुस्लिम तथा विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं के हितों से कोई लेना देना नहीं है। शाइस्ता ने ये भी कहा है कि मुस्लिम समाज में 90 प्रतिशत पसमांदा मुस्लिम हैं जिनके हितों के बारे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कभी कोई बात नहीं की है।
क्यों जरूरी है यूसीसी
बीजेपी का शुरू से ही लक्ष्य रहा है कि देश में समान नागरिक संहिता को लागू किया जाए। सरकार में आने के बाद तीन तलाक प्रथा पर नया कानून बनाना और मुस्लिम महिलाओं को अपने पक्ष में करने की रणनीति भाजपा का पुराना एजेंडा रहा है। जिसमें वह सफल भी रही है। नतीजतन, मुस्लिम महिलाओं के यूसीसी के समर्थन में आने से भाजपा का काम आसान हो जाएगा। यह कानून क्यों जरूरी है,इस बारे में संविधान का अनुच्छेद-44 भी निर्देशित करता है। कुछ लोगों को छोड़कर इस प्रस्तावित कानून का कोई भी विरोध करता नजर नहीं आ रहा है।
क्या चाहते हैं विरोधी
यूसीसी का विरोध करने वालों का कहना है कि भाजपा इस कानून को लाकर सभी धर्मों पर हिन्दू कानून थोपना चाहती है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि यह कानून लागू होने के बाद उनके अधिकारों का हनन होगा। मुस्लिम समाज का तर्क है कि यूसीसी आने के बाद मुस्लिम न तो शरीयत के अनुसार उत्तराधिकारियों में जमीन -जायदाद का बंटवारा कर सकेंगे और न ही तीन शादियां करने का अधिकार उनके पास रह पाएगा। यही स्थिति तलाक के मामले में भी बन जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की राय क्या है
समान नागरिक संहिता के मामले में सुप्रीम कोर्ट बहुत पहले ही अपनी राय दे चुका है।उसने कहा था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद -44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख मिलता है। जहां राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में संविधान के तहत राज्य को समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कहा गया है।
कानून लागू हुआ तो मुस्लिम परस्त दल होंगे बेकार
यदि केन्द्र सरकार यूसीसी को लागू करवाने में सफल हो जाती है तो देश में मुस्लिम समाज को ढाल बनाकर राजनीति करने वालों की दूकानदारी समाप्त हो जाएगी।यही वजह है कि कई मुस्लिम परस्त राजनीतिक दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं
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