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झंडा सत्याग्रह ने जबलपुर को देश के इतिहास में अमर बना दिया : अन्नू

महापौर ने कहा-100 साल पहले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उठी थी विद्रोह की चिंगारी

जबलपुर। देश के इतिहास में 18 मार्च 1923 का दिन अमर हो गया था। जबलपुर में आज से 100 साल पहले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ देशभक्तिपूर्ण भावनाओं के साथ टकराने और अपने तिरंगे झंडे को टाऊन हाल जैसी सरकारी इमारत में फहराने का काम हुआ था। जिन बहादुरों ने यह काम किया, वह देश के इतिहास में सदैव एक अमर कारनामा माना जाएगा। यह कहना है जबलपुर नगर निगम के महापौर जगत बहादुर अन्नू का। वे शहीद स्मारक ट्रस्ट एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम उत्तराधिकारी संघ के माध्यम से आयोजित झंडा सत्याग्रह की शताब्दी समारोह के अवसर पर विचार व्यक्त कर रहे थे।
33 सत्याग्रहियों को अंग्रेज सरकार ने सजा दी थी
महापौर ने कहा कि 1923 के झंडा सत्याग्रह आंदोलन में 33 सत्याग्रहियों को अंग्रेज सरकार ने सजा दी थी। उन परिवरों में से केवल 7 परिवार ही मिल सके। शेष परिवार में से 12,14 परिवार जबलपुर छोड़कर बहुत पहले जा चुके हैं। लगभग 10-12 परिवारों के बारे में जानकारी देने वाला कोई नहीं मिला। झंडा सत्याग्रही परिवारों से उनके परिजनों का अभिनंदन किया गया। 1923 जबलपुर नगर पालिका के सभापति बाबू कनछेदी लाल जैन वकील झंडा फहराने वाले प्रेमचंद जैन, उस्ताद सीताराम जादव, परमानंद जैन और खुशहाल चंद जैन, मानपत्र के रचनाकार बालमुकुंद त्रिपाठी, देवीप्रसाद शुक्ल नीमपत्ती और लक्मण सिंह चौहान सुभद्रा कुमारी चौहान परिवार के परिजनों को इस आयोजन में सम्मानित किया गया।
जबलपुर झंडा सत्याग्रह के 100 साल खोज की नई वीथिया का लोकार्पण
सबसे पहले नगर के कथाकार राजेन्द्र चंद्रकांत राय द्वारा लिखित पटकथा व संजीव चौधरी द्वारा निर्मित झंडा सत्याग्रह व्रत चित्र का प्रदर्शन किया गया। पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा, वरिष्ठ समाजसेवी बाबू विश्व मोहन, डॉ अरविंद जैन, वरिष्ठ नेता मदन तिवारी व स्वामी बलवन्त नंद जी ने झंडा सत्यग्रह के इतिहास पर केंद्रित पुस्तक जबलपुर झंडा सत्याग्रह के 100 साल खोज की नई वीथिया का लोकार्पण किया।
कार्यक्रम में ये रहे मौजूद
इस समारोह में रूपेंद्र पटेल, अनुराग जैन गढ़ावाल, डॉ प्रशांत मिश्र, सतीश तिवारी, राजकिशोर, शिव नामदेव, संतोष अग्रवाल, नवनीत जैन, डॉ आनंद तिवारी, आलोक पाठक, मोहन शशि ने सक्रिय भागीदारी की। पूर्व विधायक नित्यनिरंजन खम्परिया ने अध्यक्षता की। बी के बिहारी व्योहार ने संचालन किया और अनुराग जैन गढ़ावाल में आभार माना। विवेक अवस्थी, इंदिरा पाठक तिवारी, गीता शरद तिवारी, सार्थक सेठी, मुकेश पटेल सहित अनेकों गणमान्य नागरिक उपस्तिति उलेखनीय।

यह है झंडा सत्याग्रह का इतिहास

18 मार्च 1923 को जबलपुर से सत्याग्रह आंदोलन की चिंगारी सुलगी थी। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ तत्कालीन सभापति तत्कालीन कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष व अन्य क्रांतिकारियों के नेतृत्व में नगर पालिका भवन वर्तमान के टाउन हाल में तिरंगा झंडा फहराया गया था। 18 मार्च 1923 के दिन महात्मा गांधी जी के कारावास यात्रा की सालगिरह थी। उस समय के तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सुंदरलाल तपस्वी के नेतृत्व में निकाले गए जुलूस में शामिल अनेक आजादी के दीवाने क्रांतिकारियों में से चार उत्साही नौजवान क्रांतिकारी साथियों ने पुलिस को चकमा देकर नगर पालिका भवन वर्तमान के टाउन हाल में चढ़कर राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया था। जबलपुर से प्रारंभ झंडा सत्याग्रह संयुक्त मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर से पूरे प्रदेश में चलाया गया। यह सत्याग्रह 110 दिनों तक चला जिसमें 1265 सत्याग्रही हिंदी भाषा क्षेत्र मध्य प्रदेश से शामिल हुए। अनेक क्रांतिकारी इस आंदोलन में जेल गए। इस सत्याग्रह आंदोलन में जबलपुर से तीन जत्थे गए जिनका नेतृत्व विश्वम्भर नाथ पांडे, सुभद्रा कुमारी चौहान और माखनलाल चतुर्वेदी ने किया था। इस इस प्रकार राष्ट्रीय झंडे की मान रक्षा के लिए किए गए संघर्ष के उत्तरदायित्व का सौभाग्य मध्यप्रदेश में नागपुर को मिलने के पूर्व संस्कारधानी जबलपुर को प्राप्त हुआ था। म्युनिसिपल कमेटी के अध्यक्ष कन्छेदीलाल जैन ने डिप्टी कमिश्नर हैमिल्टन से टाउन हॉल में झंडा फहराने की अनुमति मांगी। अनुमति नहीं मिलने पर जनता ने आंदोलन प्रारंभ कर दिया, जिसे झंडा सत्याग्रह का नाम दिया गया। नागपुर और जबलपुर का झंडा सत्याग्रह 1923 में हुआ था। सरदार वल्लभभाई पटेल, जमनालाल बजाज, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी , डॉ राजेंद्र प्रसाद, बाबू कंछेदीलाल जैन और विनोबा भावे जैसे राष्ट्रवादी नेताओं ने विद्रोह का आयोजन किया और दक्षिण-पश्चिम में त्रावणकोर राज्य की रियासत, नागपुर और अन्य हिस्सों की यात्रा के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के हजारों लोगों का आयोजन किया। अंत में अंग्रेजों ने पटेल और अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ एक समझौते पर बातचीत की, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को अपने मार्च का संचालन करने और गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को रिहा करने की अनुमति दी।

JABALPUR : 100 साल पहले आज ही के दिन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ टाउन हाल में फहराया गया था तिरंगा झंडा

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