800 वर्ष से अभिषेक की परंपरा, कई किलोमीटर लंबी गुफा के साक्ष्य
जबलपुर। गोरखपुर तहसील के अंतर्गत खसरा नंबर 40/1 के 2.774 हेक्टेयर क्षेत्र के निजी स्वामित्व वाले बादशाह हलवाई मंदिर को मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा वर्ष 2014 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति इस स्मारक को क्षति पहुंचाता है, नष्ट करता है, कुरूप करता है, विलग या परिवर्तित करता है अथवा खतरे में डालता है तो उसे इस अपकृत्य के लिये एक वर्ष तक का कारावास या 10 हजार रूपये तक का जुर्माना या दोनों से एक साथ दण्डित किया जा सकता है। उपसंचालक पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय जबलपुर के एल. डाभी अनुसार पोलीपाथर स्थित बादशाह हलवाई मंदिर को क्षति पहुँचाने, नष्ट करने या खतरे में डालने जैसे अपकृत्य करने वालों को कम से कम एक वर्ष तक कारावास या दस हजार रूपये तक के अर्थदंड अथवा दोनों से एक साथ दण्डित किया जा सकता है।
अनुमति लेना जरूरी
मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष नियम के प्रावधानों के अनुसार संरक्षित स्मारक की सीमा से 100 मीटर तक और इसके आगे 200 मीटर तक के समीप एवं निकटस्थ का क्षेत्र भी खनन व निर्माण कार्य के लिये भी प्रतिषिद्ध और विनियोजित क्षेत्र घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के भवनों की मरम्मत, परिवर्तन तथा निर्माण या नवनिर्माण हेतु संचालक अथवा आयुक्त पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय मध्यप्रदेश से पूर्व अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होगा।
सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक
- कल्चुरी व गोंडवाना राज्य के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक ग्वारीघाट रोड पर स्थित है।
- 13वीं सदी में स्थापित पंचमुखी भगवान महादेव भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए जाने जाते हैं।
- मंदिर में कई किलोमीटर लंबी गुफा आज भी मौजूद है। गुफा का एक रास्ता मंडला, दूसरा रास्ता मदनमहल किला एवं तीसरा रास्ता नर्मदा किनारे राजा घाट पर निकलता है।
- रानी दुर्गावती एवं अन्य राजाओं द्वारा गुफा का उपयोग किया जाता था।
- वर्तमान में गुफा पूरी तरह से बंद हो चुकी है। मंदिर के पास भी पत्थर से रास्ता बंद कर दिया गया है।
- सालों पहले नर्मदा परिक्रमा करने वाले एक शिवभक्त मिष्ठान हलवाई को इस छोटी सी पहाड़ी पर सिद्ध स्थल होने की अनुभूति हुई तो उसने विराजे स्वयंभू शिवलिंग की स्थापना कर पूजन प्रारंभ किया।
- कालांतर में ये मंदिर बादशाह हलवाई मंदिर के नाम से शहर प्रसिद्ध हुआ।
- यहां भगवान शिव की अति प्राचीन पंचमुखी 10 भुजाधारी मूर्ति शिवलिंग के साथ स्थापित है।
- रिद्धि-सिद्धि के साथ यहां विराजे 16 भुजाधारी श्रीगणोश भी अनयत्र देखने नहीं मिलते।
- 27 नक्षत्र, नवग्रह, अष्ट भैरव की कल्चुरी कालीन प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।
- मंदिर के पिलर (खंबों) में शिवगणों की आकृति बनी हुई है। पहाड़ी के निचले हिस्से में राधाकृष्ण का सुंदर मंदिर बना है।